श्री राम जी ने स्वयं कहा है:-
अवधपुरी सम प्रिय नहि सोऊ।
यह प्रसंग जानइ कोउ कोऊ ।।
एक बार लक्ष्मण जी ने तीर्थ यात्रा जाने के लिए श्री राम जी से प्रार्थना करने लगे । श्री राम जी ने यात्रा करने के लिए आज्ञा दे दी । आज्ञा देने के बाद श्री राम जी मुस्कराने लगे ।