Thursday 23 March 2017
पढ़ें दशामाता की यह पौराणिक कथा
दशामाता व्रत की प्रामाणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में राजा नल और दमयंती रानी सुखपूर्वक राज्य करते थे। उनके दो पुत्र थे। उनके राज्य में प्रजा सुखी और संपन्न थी। एक दिन की बात है कि उस दिन होली दसा थी। एक ब्राह्मणी राजमहल में आई और रानी से कहा- दशा का डोरा ले लो। बीच में दासी बोली- हां रानी साहिबा, आज के दिन सभी सुहागिन महिलाएं दशा माता की पूजन और व्रत करती हैं तथा इस डोरे की पूजा करके गले में बांधती हैं जिससे अपने घर में सुख-समृद्धि आती है। अत: रानी ने ब्राह्मणी से डोरा ले लिया और विधि अनुसार पूजन करके गले में बांध दिया।
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