Sunday 9 July 2017

इस बार सावन में ऐसे करें पूजा मिलेगा अधिक लाभ - सावन के चमत्कारी उपाय

भगवान शंकर बहुत ही जल्दी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाले देवता माने गए है इसलिए इन्हें देवो में देव महादेव कहा गया है । सावन माह में भगवान भोले नाथ की पूजा अर्चना का विशेष ही महत्व है। कहते है सावन में भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से जातक को सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती है उसकी समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होती है ।




जो व्यक्ति सावन में प्रतिदिन भगवान शंकर की पूजा नहीं कर सकते है, तो उन्हे सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत तो अवश्य ही रखना चाहिए। मान्यता है कि सावन माह में सोमवार के सभी व्रत रखकर डमरू वाले बाबा की पूर्ण श्रद्धा से पूजन करने से सभी मनोकामनायें पूर्ण हो जाती है ।

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रात: प्रदोष काल यानी दिन-रात के मिलन की घड़ी में भगवान शिव की आराधना बहुत ही शुभ मानी गई है। सावन में शिव पूजन से पहले हम सभी मनुष्यों को काले तिल जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए। भगवन शिव की पूजा के साथ ही माता पार्वती, गणेशजी, कार्तिकेय और नंदी की पुजा भी अवश्य करें।

  • भगवान शिव जी की अराधना प्रात: काल पूर्व दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए।
  • शाम के समय में शिव जी की अराधना पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए।
  • लेकिन अगर आप रात्रि में प्रभु भोलेनाथ की उपासना करते हैं तो आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।  
  • पूजा करते समय कोई भी शिव मन्त्र का जाप अवश्य ही करते रहे । भगवान शिव की उपासना के बाद उनकी कपूर से आराधना अवश्य ही करनी चाहिए । 
  • सावन में भगवान नीलकंठ का रुद्राभिषेक बहुत ही पुण्य दायक माना गया है । जो जातक सावन में भगवान भोलेनाथ का पूर्ण विधि विधान से बन्धु बांधवों के साथ रुद्राभिषेक करते है उनके ऊपर भगवान शिव और माता पार्वती की असीम कृपा बनी रहती है । जातक के परिवार के सभी सदस्य प्रेम पूर्वक, निरोगी रहते हुए दीर्घ आयु को प्राप्त होते है । उन्हें सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है । 
  • जो लोग काल सर्प दोष से पीड़ित है उन्हें सावन में काल सर्प दोष की पूजा अथवा रुद्राभिषेक कराना चाहिए। उन्हें नाग पंचमी के दिन चांदी या ताम्बे का नाग-नागिन बनवाकर उसकी पूजा करनी चाहिए, और अपने पितरों को याद करते हुए नाग देवता का बहते पानी में श्रद्धापूर्वक विसर्जन करना चाहिए।
  • सावन में प्रतिदिन प्रात: \ पंचामृत (गंगाजल, दूध, शहद, दही और घी) से भगवान शिव का अभिषेक करने से जातक की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती है । 
  • सावन में प्रतिदिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग का दूध एवं काले तिल से अभिषेक करें। इससे भगवान शिव की कृपा से रोग दूर होते है ।भगवान शिवपुराण में भी लिखा है कि भगवान भोलेनाथ को तिल चढ़ाने से रोगों का नाश होता है। 
  • सावन में प्रतिदिन शक्कर मिले हुए मीठे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें । यह करने से भगवान शिव की कृपा से दिमाग तेज होता है, ज्ञान प्राप्त होता है । 
  • सावन में प्रतिदिन सुगंधित तेल से भगवान शिव का अभिषेक करें इससे धन धान्य की वृद्धि होती है, जीवन में सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है ।
  • सावन में प्रतिदिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है । लेकिन ध्यान रहे कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, अमावस्या, संक्रांति और सोमवार को बिल्वपत्र नहीं तोड़ा जाता है अत: इन तिथियों से एक दिन पहले ही तोड़ा हुआ बिल्वपत्र चढ़ाएं।
  • सावन में प्रतिदिन शिवलिंग पर बेल पत्र और शमी पत्र चडाने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते है , जातक की सभी आकस्मिक आपदाओं से रक्षा होती है । 
  • सावन में प्रतिदिन शिवलिंग पर साबुत अक्षत (चावल ) चडाने से स्थाई धन लाभ होता है । 
  • सावन में प्रतिदिन भगवान भोलेशंकर को जौ अर्पित करने से घर में सुख समृद्धि का स्थाई वास होता है । 
  • सावन में प्रतिदिन शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध चढ़ाने से विवाह में आने वाली समस्त अड़चने दूर होती है, मनचाहा जीवन साथी प्राप्त होता है विवाह के योग शीघ्र बनते है ।
  • सावन में प्रतिदिन शिवलिंग पर शहद चडाने से दाम्पत्य जीवन सुखमय रहता है, परिवार के सभी सदस्यों में पारस्परिक प्रेम बना रहता है ।
  • सावन भर सभी शिव भक्तों को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और शमी पत्र अवश्य ही चढ़ाने चाहिए । इस संबंध में एक पौराणिक कथा है एक बार 88 हजार ऋषियों ने परम पिता ब्रह्मा से भगवान महादेव को प्रसन्न करने की विधि पूछी तब प्रसन्न होकर ब्रह्मा ही ने बताया कि भगवान शिव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर प्रसन्न होते हैं। इसी तरह एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र से और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक शमी पत्र से प्रसन्न होते है। 
  • भगवान शिव को कभी भी हल्दी नहीं चढाई जाती है और उन्हें शंख से जल भी नहीं चढ़ाना चाहिए। हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार ये दोनों काम शिव पूजा में वर्जित बताये गए हैं।वैसे धार्मिक कार्यों में हल्दी का बहुत महत्व है।  लेकिन हल्दी, शिवजी के अतिरिक्त अन्य सभी देवी-देवताओं को चढाई जाती है। चूँकि हल्दी सौंदर्य प्रसाधन में उपयोग की जाती है और शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है, इसी कारण से भगवान भोलेनाथ को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें सफेद वस्त्र अर्पित करने चाहिए । 
  • सावन माह में दूध, घी, दही और गाय के दान से भगवान शंकर शीघ्र ही प्रसन्न होते है । इसलिए अपने जीवन में सर्वत्र सफलता के लिए इन चीज़ो का दान अनिवार्य रूप से करना चाहिए ।  
  • भगवान शिव सफेद रंग के फूलों से विशेषकर सफ़ेद कमल से जल्दी प्रसन्न होते हैं। भगवान शंकर को धतूरे के पुष्प, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के पुष्प चढ़ाने का विधान है। भगवान शंकर को धतूरे का फूल सबसे अधिक प्रिय है। इसके अलावा इनको बेलपत्र और शमी पत्र चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है।
  • लेकिन भगवान शिव जी को सेमल, कदम्ब, अनार, शिरीष , माधवी, केवड़ा, मालती, जूही और कपास के पुष्प नहीं चढ़ाये जाते है ।


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